आज के लेख में बात करेंगे टॉन्सिल में मवाद पड़ जाना, कण्ठ विद्रधि (tonsil me mawad aane ka karan aur lakshan in hindi)
पर्यायवाची: पेरिटॉन्सिलर एब्सेस, क्विन्सी, कंठमाला
रोग परिचय, कारण व लक्षण
एक ओर के टान्सिलों के कवच और उसकी ऊपर की मांसपेशी के मध्य के स्थान जिसे ‘पेरिटॉन्सिलर एब्सेस’ कहा जाता है,
टॉन्सिल में मवाद/पीप (Pus) आने का कारण:
टॉन्सिल में मवाद/पीप (Pus) पड़ जाती है। बार-बार होने वाला टान्सिल शोथ (टॉन्सिलाइटिस) इसका प्रमुख कारण है तथा उसकी समुचित चिकित्सा का अभाव, उचित पोषण की अव्यवस्था, सर्दी वाले मौसम में रहना अधिक धूल-मिट्टी वाले वातावरण में काम करना आदि भी इसके कारणों में सम्मिलित हैं।
टॉन्सिल में मवाद/पीप (Pus) के लक्षण:
यह रोग मुख्यतः वयस्क पुरुषों को होता है। रोगी का प्रायः एक ओर का गला खराब होता है (रोगी ऐसी शिकायत लेकर अक्सर चिकित्सक के पास जाता है) 103 से 104°F तक ज्वर (बुखार), निगलने में कष्ट, एब्सेस (फोड़े) वाली साइड में कर्णशूल व कान में दर्द, व पूरा मुख न खुल पाना आदि रोगी में लक्षण होते हैं।
चिकित्सक द्वारा जांच करने पर टॉन्सिल के चारों ओर लालिमा, सूजन, एवं बाहर का निकला हुआ होता है। टॉन्सिल पूर्ण रूपेण मवाद की परत से ढका हुआ होता है। मुख की श्लेष्म झिल्ली गन्दी होती है और रोगी के मुख से दुर्गन्ध आती है। यदि समय पर न उपचार व्यवस्था न हो तो यह फूटकर फैरिंक्स में मवाद चली जाती है। गले में शोथ (सूजन) इसका प्रमुख उपद्रव (कॉम्प्लिकेशन Complication) है! इसके अतिरिक्त स्वर में यन्त्र में सूजन, सेप्टीसीमिया तथा मवाद का फेफड़े में चले जाने से रोगी की श्वासनली में परेशानी हो जाती है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।