Sitopaladi churna uses in hindi | सितोपलादि चूर्ण के फायदे, नुकसान, बनाने की विधि, सेवन विधि

सितोपलादि चूर्ण के फायदे व नुकसान | सितोपलादि चूर्ण के फायदे, नुकसान, बनाने की विधि, सेवन विधि | sitopaladi churna uses in hindi | sitopaladi churna benefits | sitopaladi churna benefits in hindi

सितोपलादि चूर्ण क्या है?

सितोपलादि चूर्ण एक प्रकार का आयुर्वेदिक चूर्ण है जो श्वास, खाँसी, क्षय, हाथ और पैरों की जलन, अग्निमांद्य, जिह्वा शून्यता, पसली का दर्द आदि रोगोमे असरदार है।

सितोपलादि चूर्ण की सामग्री (sitopaladi churna ingredients): सितोपलादि चूर्ण कैसे बनाएं?

मिश्री 17 तोला, बंशलोचन 8 तोला, पिप्पली 4 तोला, छोटी इलायची के बीज 2 तोला और दालचीनी 1 तोला लेकर सबको कूट-छान कर चूर्ण बना लें।

सितोपलादि चूर्ण की सेवन विधि: सितोपलादि चूर्ण कैसे खाएं?

2 माशा, प्रातः सायं 6 माशा घृत और 1 माशा मधु (शहद) के साथ दें अथवा केवल मधु (शहद) के साथ दें।

सितोपलादि चूर्ण के फायदे: (sitopaladi churna uses in hindi)

• इस चूर्ण के सेवन से श्वास, खाँसी, क्षय, हाथ और पैरों की जलन, अग्निमांद्य, जिह्वा शून्यता, पसली का दर्द, अरुचि, ज्वर और उर्ध्वगत रक्त-पित्त शान्त हो जाता है। यह की चूर्ण बढ़े हुए पित्त को शान्त करता, कफ को छाँटता, अन्न पर रुचि उत्पन्न करता, जठराग्नि का तेज करता और पाचक रस को उत्तेजित कर भोजन पचाता है।

• पित्त वृद्धि के कारण कफ सूख कर छाती में बैठ गया हो, प्यास ज्यादा, हाथ-पाँव और शरीर में जलन हो, खाने की इच्छा न हो, मुँह से खून गिरना, साथ-साथ थोड़ा-थोड़ा ज्वर रहना (यह ज्वर विशेषकर रात में बढ़ता है), ज्वर रहने के कारण शरीर निर्बल और दुर्बल तथा कान्तिहीन हो जाना आदि उपद्रवों में इस चूर्ण का उपयोग किया जाता है; और इससे काफी लाभ भी होता है।

• बच्चों के सूखा रोग में जब बच्चा कमजोर और निर्बल हो जाये, साथ-साथ थोड़ा ज्वर भी बना रहे, श्वास या खाँसी भी हो, तो इस चूर्ण के साथ प्रवाल भस्म और स्वर्ण मालती बसन्त की थोड़ी मात्रा मिलाकर प्रातः-सायं सेवन करने से अपूर्व लाभ होता है।

• बिगड़े हुए जुकाम में भी इस चूर्ण का उपयोग किया जाता है। अधिक सर्दी लगने, शीतल जल अथवा असमय में जल पीने से जुकाम हो गया हो। कभी-कभी यह जुकाम रुक भी जाता है। इसका कारण यह है कि जुकाम होते ही यदि सर्दी रोकने के लिए शीघ्र ही उपाय किया जाय, तो कफ सूख जाता है।

• परिणाम यह होता है कि सिर में दर्द, सूखी खाँसी, देह में थकावट, आलस्य और देह भारी मालूम पड़ना, सिर भारी, अन्न में रुचि रहते हुए भी खाने की इच्छा न होना आदि उपद्रव होते हैं। ऐसी स्थिति में इस चूर्ण को शर्बत बनफ्सा के साथ देने से बहुत लाभ होता है; क्योंकि यह रुके हुए दूषित कफ को पिघला कर बाहर निकाल देता है और इससे होने वाले उपद्रवों को भी दूर कर देता है।

सितोपलादि चूर्ण के नुकसान: (sitopaladi churna side effects)

इस चूर्ण को गर्भवती महिला, स्तनपान कराने वाली महिला, पेट की सर्जरी में, एलोपैथी दवाओं के साथ सेवन करना नुकसानदेह साबित हो सकता है। दवा का प्रयोग करने से पहले चिकित्सक से परामर्श ज़रूर कर लें।

इस के सेवन के साथ नीचे दिए गए योगासन को करेंगे तो अधिक लाभ होगा:-

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

FAQ

सितोपलादि चूर्ण क्या है?

सितोपलादि चूर्ण एक प्रकार का आयुर्वेदिक चूर्ण है जो श्वास, खाँसी, क्षय, हाथ और पैरों की जलन, अग्निमांद्य, जिह्वा शून्यता, पसली का दर्द आदि रोगोमे असरदार है।

सितोपलादि चूर्ण कैसे बनाएं?

मिश्री 17 तोला, बंशलोचन 8 तोला, पिप्पली 4 तोला, छोटी इलायची के बीज 2 तोला और दालचीनी 1 तोला लेकर सबको कूट-छान कर चूर्ण बना लें।

सितोपलादि चूर्ण कैसे खाएं?

2 माशा, प्रातः सायं 6 माशा घृत और 1 माशा मधु (शहद) के साथ दें अथवा केवल मधु (शहद) के साथ दें।

सितोपलादि चूर्ण के क्या-क्या फायदे हैं?

इस चूर्ण के सेवन से श्वास, खाँसी, क्षय, हाथ और पैरों की जलन, अग्निमांद्य, जिह्वा शून्यता, पसली का दर्द, अरुचि, ज्वर आदि में फायदेमंद है।

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