• सिजेरियन (Operation) से पैदा हुए बच्चों की रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है। वह बीमार बहुत पड़ते हैं।

• इसके विपरित जो बच्चे सिजेरियन (Operation) से पैदा नहीं होते हैं उनका दिमाग पूरी तरह से विकसित होता है और कल्पनाशीलता अधिक होती है।

• 48-50 बीमारियाँ नहीं होती हैं। • गर्भाशय मुलायम होता है। • रोटी 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिए। • गेहूँ का आटा 15 दिन से अधिक का नहीं होना चाहिए।

• बाकी आटा 7 दिन से अधिक नहीं होने चाहिए। रोज का हो तो सबसे अच्छा है। घर के आटे की रोटी अधिक खाने पर भी पच जाती है लेकिन बाजार के आटे की रोटी ज्यादा होने पर गैस पैदा करने लगती है।

• वजन कम करने में मदद करती है। चक्की 15 मिनट रोज चलाना चाहिए। • 45 वर्ष के बाद गर्भाशय की बहुत सारी समस्याएं शुरू होती हैं।

• मासिक चक्र बन्द होता हैं। मेनोपॉज शुरू हो जाता है जो कि बच्चे के जन्म के समय से ज्यादा तकलीफ देने वाला होता है। कुछ समस्याएं तो ऐसी होती हैं जो किसी को समझ में ही नहीं आती हैं।

अचानक से पसीना आता है फिर थोड़ी देर में ठंड लगना शुरू हो जाता है फिर थोड़ी देर में चेहरा तमतमा जाता है। मन में अवसाद आता है, तनाव होता है।

कुछ हार्मोन्स बनना बन्द हो जाते हैं। इन समस्याओं को खत्म तो नहीं किया जा सकता है लेकिन इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।

इसको कन्ट्रोल करने के लिए चक्की और सिल-बट्टा प्रयोग में लाया जा सकता है। सिल-बट्टे को चलाने में सबसे ज्यादा जोर पेट पर आता है।

दवा खाकर नियंत्रित करने के साइड इफेक्ट कई सारे हैं। हार्मोन्स रिप्लेसमेण्ट तकनीक एच0आर0टी0 से वजन बढ़ता है।

• हमारी तासीर कम रफ्तार के उपकरणों की है। गरम देश के लोगों में स्वाभाविक रूप से वायु का प्रकोप ज्यादा रहता है। वायु की स्थिति में हर एक चीज धीमी रफ्तार से करनी चाहिए।

ठण्डें देशों में वायु बहुत कम होती है और पित्त, कफ अधिक बढे हुये होते हैं। वायु बढ़ाने के लिए सारी क्रिया तेज होती है। वायु बढ़ने से मृत्यु जल्दी होती है।

ताजी वस्तुएं खाने से28-30 सामान्य बीमारियां नहीं आती हैं। अतः घर की चक्की का आटा ही खाएं। निचे क्लिक करें