मंकीपॉक्स केस: मंकीपॉक्स के रोगियों में त्वचा फटने के लक्षण दिखाई देते हैं जो बुखार आने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू हो जाती है।
यूके ने मंकीपॉक्स के पहले मामले की पुष्टि की है। यह वायरस संक्रमित जानवरों जैसे चूहों या बंदरों से मनुष्यों तक पहुंचा है। यह वायरस एक ऐसे व्यक्ति में पाया गया है जिसने हाल ही में नाइजीरिया की यात्रा की थी।
मरीज का इलाज फिलहाल लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल में एक आइसोलेशन यूनिट में किया जा रहा है।
मंकीपॉक्स रोग क्या है? (What is monkeypox)
संयुक्त राज्य अमेरिका में रोग नियंत्रण केंद्र (सीडीसी) के अनुसार यह मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है। मंकीपॉक्स एक वायरल इन्फेक्शन है जो ज्यादातर चूहों और बंदरों से इंसानों में फैलता है। संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से मंकीपॉक्स बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। यह एक दुर्लभ संक्रमण है जो स्मॉल पॉक्स की तरह दिखता है। इस बीमारी में चेचक के लक्षण दिखाई देते हैं।
इसके अलावा इस संक्रामक बीमारी में फ्लू जैसे लक्षण भी मरीज में दिखाई दे सकते हैं। जिन लोगों में यह बीमारी गंभीर होती है उनमें निमोनिया के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। इससे संक्रमित होने पर मरीज में दिखाई देने वाले लक्षण हल्के या गंभीर हो सकते हैं। संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद यह बीमारी आंख, नाक या मुंह के जरिए इंसान के शरीर में फैल सकती है।
रोग के लक्षण
मंकीपॉक्स में सामान्य लक्षण बुखार, दाने, तेज सिरदर्द, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, ऊर्जा की कमी और सूजी हुई लसीका ग्रंथियां आदि है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स के रोगियों में भी त्वचा फटने के लक्षण दिखाई देते हैं जो बुखार होने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू हो जाती है। चेहरे पर अधिक चकत्ते दिखाई देते हैं। वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी ने आगे कहा कि चेहरे के अलावा, यह हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों, मौखिक श्लेष्मा झिल्ली, जननांग और नेत्रश्लेष्मला के साथ-साथ कॉर्निया को भी प्रभावित करता है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स की ऊष्मायन अवधि (संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है, लेकिन 5 से 21 दिनों तक हो सकती है।
मनुष्यों में यह वायरस कैसे प्रवेश करता है?
यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) ने कहा कि मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल संक्रमण है जो लोगों में आसानी से फैल नहीं सकता है। सीडीसी के मुताबिक इस बीमारी की खोज 1958 में की गई थी जब शोध के लिए रखे गए बंदरों की कॉलोनियों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप मिले तो इस बीमारी को यह नाम दिया गया।
मानव में इस वायरस के फैलने का पहला मामला 50 साल पहले 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) में पाया गया था। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि रक्त, शारीरिक तरल पदार्थ या संक्रमित जानवरों के त्वचीय या म्यूकोसल (श्लैष्मिक) घावों के सीधे संपर्क से हो सकता है।
हालांकि कृन्तकों (चूहों की प्रजाति) में सबसे अधिक इस वायरस को मिलने की पुष्टि हुई है आगे कहा गया है कि अपर्याप्त रूप से पका हुआ मांस और संक्रमित जानवरों के अन्य पशु उत्पादों को खाने से एक संभावित जोखिम कारक है।
मंकीपॉक्स का इलाज कैसे किया जा सकता है?
डब्ल्यूएचओ के अनुसार मंकीपॉक्स के लिए वर्तमान में कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है। चेचक के खिलाफ टीकाकरण रोग को रोकने में लगभग 85 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है। इसलिए मंकीपॉक्स के गंभीर लक्षणों को रोकने के लिए बचपन में चेचक के टीका को लेने की सलाह दी जाती है।
मंकीपॉक्स वायरस अधिकतर पाया गया
कृन्तकों के अलावा, रोप गिलहरी, ट्री गिलहरी, डॉर्मिस, प्राइमेट और अन्य प्रजातियों में भी वायरस पाए गए हैं।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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