इस लेख में आप जानेंगे कि अस्थमा होने के कौन-कौन से लक्षण (Asthma rog ka lakshan in hindi) हो सकते हैं? अस्थमा के लक्षण को जानने के लिए नीचे दिए गए आर्टिकल को पढ़ सकते हैं जो कि विस्तार पूर्वक बताया गया है।
अस्थमा रोग के प्रमुख लक्षण
• रोगी को दौरा (अटैक) प्रायः रात के समय होता है, परन्तु यह रोग पहली रात में होता है। तदुपरान्त उत्पन्न होने पर दमा का आक्रमण एकाएक रात को 2 बजे होता है।
• यदि कोई रोगी अल्प परिश्रम करने से अथवा सीढ़ियां चढ़ने से सांस लेने में कष्ट/कठिनाई का अनुभव होता है तथा उसको खांसी है अथवा नहीं है तो भी वह हृदय रोग से पीड़ित है जिसके कारण उसको सांस लेने में कष्ट होता है।
ऐसे रोगी अधिक देर/समय तक सीधा (Flat) बिस्तर पर लेट नहीं पाता है और उसका सांस फूलने लगता है जिसके कारण उसको शीघ्र ही उठकर बैठने को मजबूर होना पड़ता है।
• रोगी साफ-शुद्ध हवा के लिए कमरे की खिड़की या दरवाजे की ओर जाता है। यह दशा/स्थिति कुछ समय तक रहकर धीरे-धीरे स्वयं ही ठीक हो जाती है।
• रोगी को श्वास अत्यन्त कष्ट/दिक्कत से आता है जिससे श्वांस कृच्छ्रता और खांसी प्रारम्भ से ही साथ-साथ रहती है। श्वास का वेग अत्यन्त तीव्र होता है। ।
• रोगी को खांसते-खांसते थोड़ा सा पतला बलगम निकलता है।
• रोगी में रक्तभार वृद्धि होता है।
• रोगी की नाड़ी भरी हुई और दीर्घ गामी।
• रोगी की छाती में हवा भरा हुआ होने से फूला हुई प्रतीत होता है।
• फुफ्फुसीय धमनी शोथ युक्त।
• रोगी के मुख तथा हाथ-पैरों में शोथ/सूजन।
• रोगी के हाथ-पैरों पर ठण्डा पसीना आना।
• हृदय के शीर्ष कोण का स्पन्दन मन्द और भारी। बाहरी श्वास-भीतरी श्वास की अपेक्षा अल्प अवधि वाला।
विशेष ध्यान रखने योग्य बातें
• रोगी के हृदय का प्रभाव-फेफड़ों पर पड़ने से रोगी को खांसी और श्वास का कष्ट होता है।
• ऐसे रोगियों के जोड़ (Join) पर द्रव एकत्रित होने से सूजन/फुला हुआ दिखाई देता है, जहाँ अंगुली से दबाने पर गड्ढा बन जाता है। दबाव हटाने पर कुछ समय के बाद गड्ढा अपनी स्वभाविक दशा में लौट आता है।
परिश्रावक (स्टेथोस्कोप) से परीक्षण करने पर ‘क्रेपिटेशन’ की ध्वनि/आवाज सुनाई पड़ती है।
• जब चिकित्सक दमा रोगी से पूछताछ करते हैं तो रोगी बतलाता है कि रात को नींद से जागना पड़ता है।
• रोगी को रोग के आरम्भ में सांस लेने में कठिनाई चढ़ाई चढ़ते समय अनुभव होता है।
तदुपरान्त मात्र 2-4 सीढ़ियाँ चढ़ने पर ही रोगी की सांस फूलने लगती है। उसके बाद रोगी को समतल जमीन पर भी चलना कष्टप्रद/मुश्किल हो जाता है तत्पश्चात ऐसी अवस्था भी आ जाती है कि रोगी लेट भी नहीं पाता है तथा उथला सांस लेने लगता है।
• रोगी को सांस लेने में कष्ट/कठिनाई का दौरा रात को होता है तथा रोगी नींद में हड़बड़ाकर जाग जाता है और वह हांफता हुआ शुद्ध वायु प्राप्ति हेतु खिड़की/दरवाजा खोलने के लिए भागता है। रात को उसको नींद नहीं आती है।
• रोगी को शुष्क वातिक खांसी होती है। बहुत अधिक खांसने पर पानी सदृश पतला झागदार (Frothy) रक्त लगा थूक आता है।
• रोगी घबराया हुआ पीला पसीना से तर-बतर हो जाता है।
• कुछ रोगियों में कृच्छ्रश्वसन के साथ ही वीजिंग (Wheezing) की आवाज सुनाई देती है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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