आज के इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि (Causes and symptoms of cold and cough in Hindi) सर्दी जुकाम क्यों होता है? और इसके लक्षण, कारण और जटिलताएं आदि।
पर्यायवाची – सर्दी लगना, नजला, प्रतिश्याय, Allergic Rhinitis, Viral Rhino pharyngitis.
रोग परिचय
यह रोग अक्सर ‘वायरस’ द्वारा होता है तथा लगभग प्रत्येक व्यक्ति वर्ष भर में 2-3 बार इस रोग से प्रभावित होता है। यह रोग बच्चों से लेकर बुर्जुगों तक में प्रत्येक लिंग (Sex) के व्यक्ति को हो सकता है, परन्तु बच्चे इससे अधिक प्रभावित रहते हैं क्योंकि उनकी ‘इम्युनिटी’ यानि रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कम होती है। यह एक संक्रामक रोग है।
सर्दी जुकाम होने का कारण
• प्रमुख कारण वायरस।
• मुख्य रूप से यह मौसम परिवर्तन के समय होता है तथा शीत ऋतु में इसका प्रकोप अधिक रहता है।
• अधिक समय तक ठण्डे जल में स्नान करना।
• अधिक पसीना युक्त शरीर में ठण्डा जल सेवन करना। • अधिक पसीना से तर-बतर शरीर को अचानक नंगा कर देना।
• आनुवांशिक कारण (जिसमें परिवार में ऐसा इतिहास (हिस्ट्री) किसी और भी होता है)
• मनोवैज्ञानिकों।
• यौवनारम्भ, गर्भकाल तथा रजोनिवृत्ति काल के समय इस रोग की आशंका अधिक।
• खाने में बैगन, अण्डा एवं दूध के पदार्थ आदि।
• कुछ प्रकार के पुष्पों तथा घास के पराग।
• मुर्गियों के पंख।
• पंखों वाले तकिया।
• धूल युक्त कम्बल व कपड़ों का प्रयोग।
• बिल्ली या दूसरे पशुओं के बाल (हेयर्स)।
• विशेष आहार मुख्यतः मछली, शेल मछली, बीयर आदि।
• औषधियों की प्रतिक्रिया अथवा मुख्यत: इन्जेक्शन (यथा पेनिसिलीन, घोड़े के सीरप से निर्मित)
• उपरोक्त के अतिरिक्त- धूल, मिट्टी, पाउडर आदि के सम्पर्क में आने से इन चीजों के सम्पर्क में आने से कुछ एक लोगों को इलर्जिक प्रतिश्याम / राइनाईटिस हो जाता है।
सर्दी जुकाम के लक्षण (Symptoms)
• रोग का आक्रमण एकाएक होता है।
• आरम्भ में नाक और नाक के भीतर हल्की जलन, खुश्की तथा सुरसुराहट आदि।
• रोगी को छींके आने लगती हैं तथा नाक से पानी बहता है।
• गले में दर्द, सुखापन एवं काँटे से चुभते हुए से अनुभव होना।
• शरीर में भारीपन तथा सुस्ती आना। इसके कारण रोगी थका हुआ अनुभव करता है तथा सम्पूर्ण बदन में दर्द और ज्वर (बुखार) का एहसास करने लगता है।
• प्रारम्भ में नाक बन्द तथा सिर में भारीपन रहता है, तदुपरान्त कुछ समय बाद नाक से पानी आना आरम्भ हो जाता है तथा रोगी को नाक में जलन होने लगती है।
• यह लक्षण 1-2 दिनों के बाद दूर हो जाते हैं तथा नाक से गाढ़ा बलगम आने लगता है, जो रात में सोते समय रोगी की नाक को बन्द करके उसको मुख द्वारा सांस लेने हेतु मजबूर कर देता है।
• बच्चों में इसके साथ टान्सिल सूज जाते हैं तथा बैंक्टीरियल संक्रमण (Bacterial Infection) होने से बलगम पीला हो जाता है।
• अधिकतर रोगी 5-7 दिनों में स्वयं ही ठीक हो जाते हैं।
उपद्रव (Complications)
• साइनसाइटिस (Sinusitis) अधिकांशतः मैक्सिलरी (Maxillary)
• निचले श्वसन तन्त्र का संक्रमण (Infection of Lower Respiratory Tract)
• ओटाईटिस मीडिया (Otitis Media) -ज्वर, कान में दर्द (Aural Pain)
• कर्ण नलिकाओं से पानी बहना (जिससे बहरापन हो सकता है)
• टॉन्सिल का बढ़ जाना।
• गले का शोथ।
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