Menopause kise kahte hain karan lakshan aur prakar | इस लेख में जानेंगे मेनोपॉज किसे कहते हैं?, मेनोपॉज होने का कारण, लक्षण और प्रकार।
पर्यायवाची: वयः सन्धि, मेनोपॉज, रजोनिवृत्ति
मेनोपॉज किसे कहते हैं?
मासिक धर्म का रुक जाना ही ‘रजोनिवृत्ति’ कहलाता है। यह प्रायः 45 से 50 वर्ष की आयु की स्त्रियों को होता है। स्त्री में 15 से 40-45 वर्ष तक सन्ततिकाल होता है तथा 40- 45 से 50 वर्ष की आयु के बीच कभी आर्तव चक्र समाप्त होने लगते हैं अर्थात ओवरीज (Ovaries) में फालीकल्स (Follicles) की वृद्धि जो वर्ष भर में 13 बार होती है, समाप्त होने लगती है।
तब आर्तव मासिक न होकर 1½-2 माह के अन्तर से होने लगते हैं और मात्रा में भी थोड़े होते हैं। इनके फलस्वरूप जननेन्द्रिय सम्बन्धी अंगों में अर्थात् गर्भाशय शुष्क हो जाता है, उसमें स्नायु तन्तु बढ़ जाता है, उसके अन्दर की झिल्ली Endometrium का Functional Layer शुष्क हो जाता है, उसके अन्दर के ग्लैण्ड्स में कुछ सिस्ट (Cysts) सी आकृति बनने लगती है।
योनि के अन्दर की झिल्ली पतली गड़ जाती है उसमें संक्रमण जल्द हो जाता है। (जिससे इन्फेक्टिव वेजीनाईटिस का रोग सुगमता से हो जाता है) गर्भाशय और योनि को बाँधने वाले लिगामेण्ट्स (Ligaments) निर्बल हो जाते हैं जिसे प्रोलेप्स (Prolapse) की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। स्तनों तथा जंघाओं और जघन प्रदेश में फैट (Fat) की मात्रा बढ़ने लगती है। मुख पर कुछ बाल आने लगते हैं। हृदय कम्प (एञ्जाइना) और सन्धियों में दर्द/पीड़ा होने की शिकायत होने लगती है।
रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ने लगता है। स्पाइन तथा पेल्विस की अस्थियों में ‘ओस्टियोपोरोसिस’ (Osteoporosis) के कारण दर्द होने लगता है। ‘मधुमेह’ रोग भी हो सकता है। वासोमोटर पावन की निर्बलता से चेहरे पर 1-2 मिनट की गर्मी के दौरे दिन- रात में कई बार होते हैं। (जो Vasodilatation के कारण होते हैं) इसके बाद स्वेद (पसीना) आने के दौरे भी हो सकते हैं। पांवों में सुईयां चुभने की सी प्रतीति यानि (Paraesthesia) का लक्षण भी हो सकता है। अनेक प्रकार का ‘वातिक’ नर्वस (Nervous) लक्षण (यथा-चिन्ता, हिस्टेरिया, उन्निद्रता, स्मृतिमन्दता, एकाग्रता की हीनता आदि लक्षण) हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त Fibrositis, Arthritis, ओस्टियोआर्थराइटिस आदि के लक्षण भी हो सकते हैं।
रजोनिवृत्ति के प्रकार:
• कृत्रिम रजोनिवृत्ति (Artificial Menopause) – एक्स-रे रेडियेशन के कारण गर्भाशय व ओवरी में परिवर्तन।
• प्राकृतिक रजोनिवृत्ति (Natural Menopause) – जीवन के 40 से 50 वर्ष की आयु में बिना किसी कारण के होने वाली रजोनिवृत्ति।
• प्रीमेच्योर मेनोपॉज – 35-40 वर्ष की आयु से पूर्व होने वाली प्राकृतिक रजोनिवृत्ति।
• सर्जिकल मेनोपॉज – डिम्ब ग्रन्थियों को शल्य चिकित्सा/ऑप्रेशन द्वारा काटका अलग कर देने के पश्चात् होने वाली रजोनिवृत्ति।
मेनोपॉज के मुख्य कारण:
• एकाएक/अचानक कोई बड़ा सदमा (शॉक)
• कठिन परिश्रम के बाद भी प्रसव के बाद गर्भाशय का तीव्रपूर्वक असाधारण रूप से संकुचित होना।
• गर्भाशय के अन्तरीय भाग को लावरवाही पूर्वक शस्त्र द्वारा खुरच देना।
मेनोपॉज के मुख्य लक्षण:
मासिक चक्र – यह नीचे लिखे तीन प्रकार का होता है-
1. मासिक धर्म – एकाएक बन्द हो जाना।
2. रजोस्राव की मात्रा का धीरे-धीरे कम होते जाना, (किन्तु मासिक धर्म अपने नियत समय पर आता है)
3. धीरे-धीरे दो मासिक चक्र के बीच के समय का अन्तर बढ़ते जाना तथा लगभग 6 माह के समय तक का अन्तर पड़ जाना।
मानसिक तथा तन्त्रिका सम्बन्धी:
• रोगिणी के चेहरे और गर्दन का गर्म होकर लाल हो जाना तथा स्वेद/पसीना आना। (यह लगभग 2-3 मिनट के लिए ही होता है।) यह प्रायः रात्रि में होने के कारण रोगिणी की निद्रा खराब हो जाती है तथा चिड़चिड़ापन उत्पन्न हो जाता है।
• मोटापा वृद्धि, स्तनों के आकार (साइज) में वृद्धि, कब्ज तथा कभी-कभी वायु गैस का गोला उठना (जिससे रोगिणी को लगता है कि उसके पेट में गर्भ/बच्चा है और यह बच्चा घूमने का एहसास होता है।) मूत्र की जाँच से (प्रेग्नेन्सी टेस्ट से) उसका यह अविश्वास / शंका दूर किया जा सकता है।
• हथेलियों व पैरों के तलुवों में/हाथ-पैरों में सुईयां सी चुभती प्रतीत होना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन तथा कानों में विभिन्न प्रकार की आवाजें सुनाई पड़ना।
जननांग सम्बन्धी (Genital Tract)
• वृद्धावस्था में योनिशोथ, गर्भाशय के आकार (साइज) में कमी तथा यदि रसौली (Tumor) होती है तो उसका आकर कम हो जाता है।
उदर सम्बन्धी-
• कब्ज रहना, वायु/गैस का बनना।
गतिज सम्बन्धी-
सन्धिविकृति, अस्थियों में परिवर्तन, तन्तुशोथ, कमर में दर्द।
अन्तःस्रावी सिस्टम
• कोलेस्ट्रॉल का बढ़ जाना, B.M.R. का कम हो जाना, मानसिक शक्ति का कमजोर हो जाना, बालों/केशों का टूटना, त्वचा में रूखापन तथा शरीर गिरा-गिरा सा रहना।
अन्य लक्षण-
स्तनों में दर्द, संभोग के समय योनि में दर्द, हृदय के आस-पास दर्द के लक्षण आदि।
रोग की पहचान:
रजोनिवृत्ति के समय – सिरदर्द, बवासीर, आँख व कान आदि स्थानों में गर्म लहरें उठना तथा गर्भाशय से रक्तस्राव होना और उससे रोगिणी/स्त्री का सम्पूर्ण स्वास्थ्य पूर्णरूपेण नष्ट हो जाना आदि लक्षणों के आधार पर इस रोग को सरलतापूर्वक पहचाना जा सकता है।
आवश्यक निर्देश:
समय पर न आने वाले रजोस्राव को ‘रजोनिवृत्ति’ (मिनोपॉज) का कारण मानकर लापरवाह होकर छोड़ना नहीं चाहिए। रोगिणी की पूर्ण जाँच करवायें कि कहीं कोई पैथालोजिकल कारण तो नहीं है?
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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