इस लेख में जानेंगे अल्जाइमर रोग होने किसे कहते, रोग का कारण, लक्षण और जाँच(Alzheimer’s kise kahte hain karan lakshan aur janch in hindi)
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अल्जाइमर रोग परिचय, कारण व लक्षण और जाँच
यह एक ऐसा रोग है जिसमें मस्तिष्क की कार्य क्षमता का क्रमशः क्षय होता चला जाता है। फलस्वरूप भ्रम, स्मृति, दौबर्ल्स तदुपरान्त वाणी और देखने की क्षमता में भी कमी तथा अन्त में नाश हो जाता है।
अल्जाइमर रोग होने के कारण:
अल्जाइमर रोग होने के कारण का अभी तक पूर्ण रूपेण ज्ञान नही है किन्तु वैज्ञानिकों को मानना है कि एक जटिल प्रक्रिया के द्वारा वातावरण के अनेक अवयव वाईगुणसूत्र (मुख्यतः सूत्र 1, 14, 21 को प्रभावित कर उनमें परिवर्तन लाकर रोग उत्पन्न कर सकते हैं। जिन व्यक्तियों में गुण सूत्रों (क्रोमोसांम्य) में परिवर्तन हो गया है उनमें मस्तिष्क में मामूली सा रोग, शारीरिक रोग, चोट, मानसिक रोग, बेहोशी की औषधि या मानसिक तनाव अल्जाइमर रोग को आरम्भ कर सकते हैं।
प्रायः पाया गया है वृद्धावस्था में जीवन साथी की मृत्यु के बाद यह रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। मस्तिष्क में गम्भीर व अपरिवर्तनीय जैव रसायनिक परिवर्तनों के कारण होता है। यह रोग बीटा-एमिलॉयड नामक प्रोटीन की असमान्य और अधिक वृद्धि से मस्तिष्क कोशिकायें क्षत-विक्षत होकर मृत होने लगती हैं। यह इस रोग का उत्तरदायी कारण है। विशेषज्ञ कारणों की खोज अनुवांशिकी में खोज रहे हैं। खानदानी अल्जाइमर के लिए उत्तरदायी। डी०एन०ए० खोज में आ चुका है।
इस रोग का प्रकोप महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को 2 से 3 गुना अधिक होने की सम्भावना रहती है। इस रोग का प्रारम्भ अत्यन्त धीमी गति से होता है जिसका प्रायः एहसास/ जानकारी न रोगी को और न परिवार के अन्य सदस्यों को हो पाती है। रोग का आरम्भ 40 से 60 वर्ष की आयु के मध्य कभी भी हो सकता है किन्तु रोगाक्रान्त होने की आशंका 65 वर्ष की आयु के बाद अधिक होती है। आज के युग में यह एक ‘असाध्य रोग’ है। अपने देश में इस रोग से पीड़ितों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।
अल्जाइमर रोग के लक्षण:
रोग की प्रथमावस्था में रोगी की याददाश्त/स्मरणशक्ति धीरे-धीरे कम होने लगती है। वह वर्तमान में घटित घटना क्रम को स्मरण (याद) नहीं रख पाता। रोगी समय, दिनांक, स्थान को याद नहीं रख पाते वह प्रायः भूल जाता है। काम करने की अथवा अपनी कही गई बात को भूल जाते हैं। एक ही बात को बार-बार दोहराते हैं। हिसाब-किताब बराबर नहीं रख पाते हैं।
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रोगी को खाने-पीने, बोलने (यहाँ तक कि हाथ-पैर चलाने में भी परेशानी/कष्ट होता है) वाक्य पूरा नहीं बोल पाता है अन्त में बोलना भी बन्द कर देता है। रोगी शरीर चलाने का बहुत कम प्रयास करता है। अन्य वस्तुओं को पहचानने की क्षमता कम हो जाती है। हाथों में कम्पन, कड़ापन, खड़े होने में परेशानी अथवा शरीर में ऐंठन का भी लक्षण हो सकता है।
रोगी हिलना-डुलना बन्द कर देता है। किसी बात का भी उत्तर नहीं देता है। स्वयं बात करना भी आरम्भ नहीं करता। बिस्तर पर ही मल मूत्र त्याग कर सकता है। खाना स्वयं नहीं खाना। दूसरों के हाथों से खाना खिलाना पड़ता है। झटके आ सकते हैं। न्यूमोनियां अथवा लेटे रहने के कारण बड़े संक्रमण या अपोषण के कारण रोगी की मृत्यु हो जाती है। उपरोक्त लक्षणों के आधार पर इस रोग की पहचान सरलता पूर्वक हो सकती है।
अल्जाइमर रोग की जांच:
जहाँ तक परीक्षण की समस्या है तो इस क्षेत्र में भी नवीन और सुनिश्चित परीक्षणों की खोज-बीन जारी है। मुख्य बात यह कि परीक्षण ऐसा हो कि इस रोग के होने के पूर्व रोगी को सतर्क किया जा सके। M.R.I और P.E.T की विशेष जांच से मस्तिष्क कोशिकाओं का अध्ययन सम्भव है। इसी प्रकार स्पइनल द्रव के ‘जैव रसायन परीक्षण’ से कुछ आशा जाग्रत हुई है। रोग आरम्भ होने से अन्त तक का समयान्तराल औसतन 5 से 8 वर्ष तक होता है।
किन्तु यह समय उपचार तथा रोगी की मानसिक व शारीरिक दशानुसार घट-बढ़ सकता है। अल्जाइमर रोग से पीड़ित रोगी को तो कष्ट होता ही है साथ ही अन्य पारिवारिक सदस्यों पर भी आर्थिक और मानसिक प्रभाव पड़ता है। यह ‘लाइलाज’ रोग आज भी एक विचित्र और बिकराल समस्या है। चिकित्सा वैज्ञानिकों को जंग इस रोग के विरूद्ध निरन्तर जारी है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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