पर्यायवाची– नासा रक्तस्राव, नाक से रक्त बहना (Nose Bleeding) या (Haemorrhage from the Nose) आम बोलचाल की भाषा में नक्सीर छूटना।
Epistaxis रोग क्या है?
अचानक नाक के एक या दोनों नासाछिद्रों (नथुनों) से रोगी को रक्त ( Blood ) आने लगता है। यह अपने आप ( स्वयं ) में कोई रोग नहीं है, बल्कि किसी स्थानीय अथवा शरीर के दूसरे भाग के रोग का परिचायक भी हो सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि नाक से रक्तस्राव होना या तो सामान्य सी बात हो सकती है और रक्तस्राव ( ब्लीडिंग ) स्वत: बन्द भी हो सकती है अथवा किसी गम्भीर रोग ( यथा – अति रक्तदाब / हाइपरटेंशन ) या किसी गम्भीर स्थिति का संकेत भी हो सकता है ( यथा – खोपड़ी के आधारी भाग में अस्थिभंग ( फ्रैक्चर ) होने के कारण )
Epistaxis रोग के मुख्य कारण
स्थानीय-
• जन्मजात।
• चोट लगना ( नाक का फ्रैक्चर, घूंसा मारने से, नाक को कुरेदने से, नाक की कोई चिकित्सा होने पर, मजदूर वर्ग जो रासायनिक फैक्ट्री में काम करते हैं। अधिक गर्मी वाले क्षेत्रों में काम करने से, बाह्य वस्तु को नाक में भीतर घुसाने से।
• फंगल इन्फेक्शन।
• नाक में कीड़े पड़ने से।
• नाक का कैंसर आदि।
• बढ़े हुए एडीनॉयड।
• नासिका श्लेष्मा के सूख जाने से।
• तीव्र राइनाइटिस, साइनोसाइटिस, नैजल डिप्थीरिया।
• दीर्घकालीन राइनाइटिस, साइनोसाइटिस, क्षयरोग, उपदंश ( सिफलिस )
Epistaxis अन्य रोगों के कारण से-
• सिर में चोट लगने से।
• हीमोफीलिया व दूसरे रक्त रोग जिसमें खून जमने में कष्ट होता है।
• परप्यूरा वायरल फीवर।
• मलेरिया, खसरा, टायफायड, इन्फ्लूएञ्जा, कालाजार ज्वर आदि।
• ल्यूकेमिया, लिम्फ सारकोमा।
• मधुमेह।
• धमनियों में बढ़ा हुआ दबाब ( उच्च रक्तचाप )
• वूपिंग कफ, पेरिकार्डियल इफ्यूजन, माइट्रल स्टेनोसिस।
• वृक्क / गुर्दे का संक्रमण — यूरीमिया, टॉक्सेमिया।
• अधिक ऊँचाई वाले स्थान पर जाने से।
• कुपोषण, यकृत ( लीवर ) के रोग, विटामिन K व C की कमी।
• औषधि– एस्प्रिन, फिनाइल, एण्टीकोगुलेण्ट आदि।
आयुर्वेदिक मतानुसार Epistaxis रोग का कारण-
• बच्चों में नाक की चोट, नाक को खुजलाने से, खसरा, बढ़े हुए एडीनॉयड, बाह्य वस्तु के नाक में जाने से इत्यादि।
• बड़ों / वयस्कों में तीव्र या दीर्घकालीन साइनोसाइटिस, सिर की चोट, नाक की चोट तथा तेज बुखार।
• बूढ़ों में बढ़ा हुआ रक्तचाप।
Epistaxis रोग के मुख्य लक्षण
• खून का एकाएक नाक ( नासाछिद्र ) से निकलना। कुछ रोगियों में चोट अथवा बढ़े हुए रक्तचाप का इतिहास मिलता है।
• नाक से रक्त प्राय: एक नासाछिद्र अथवा दोनों नासाछिद्रों से आता है, किन्तु कभी – कभी यह रक्त पीछे चला जाता है तो मुख द्वारा रक्त आता है।
• जब रक्त अधिक आता है तो रोगी इसे निगल जाता है तब वह फिर वमन ( कय ) में निकलता है।
• रक्त लाल, चमकदार और ताजा होता है।
• रक्त आने से रोगी को चक्कर आने लगते हैं और सिर भारी हो जाता है।
• यदि रक्त अधिक मात्रा में बहुत देर / समय तक आता रहे तो रोगी बेहोश भी हो जाता है।
• नासा रक्तस्राव प्रायः नाक की चोट अथवा नाक के मलने से बढ़ जाता है।
जाँच / रोग की पहचान
• रोगी के नाक के भीतरी भाग को ‘हैंड मिरर’ से प्रकाश डालकर देखें कि ( रक्त कहाँ से आ रहा है ? ) रक्त छत पर से आता है अथवा पर्दे से निचले भाग से आ रहा है।
• स्थानीय तथा दूसरे कारण भी खोजें।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।