Neuralgia: नसों में दर्द होने का कारण और लक्षण | Nason me dard hone ka karan aur lakshan in hindi

इस लेख में जानेंगे (Nason me dard hone ka karan aur lakshan in hindi) नसों में दर्द होने का कारण और लक्षण।

पर्यायवाची– नाड़ी शूल, नाड़ियों में दर्द होना, एक तीखी वेधनीय पीड़ा, न्यूरेल्जिया, न्यूरोडायनिया।

न्यूरेल्जिया रोग क्या है?

एक या अधिक नाड़ियों / तन्त्रिकाओं के साथ पैदा हो जाने वाला दर्द स्नायुशूल / तन्त्रिका शूल ( न्यूरेल्जिया ) के नाम से जाना जाता है। यह कोई स्वतन्त्र रोग न होकर अन्य / दूसरे रोगों का लक्षण मात्र है। 

स्नायुओं में दर्द के कारण पैर के बहुत से स्थानों में टपक अथवा खोंचा मारने के सदृश अथवा जलन की तरह दर्द होता है। यह दर्द बहुत बार दबाने से आराम प्रतीत होता है। प्रादाहिक दर्द में कष्ट अधिक बढ़ जाता है। 

न्यूरेल्जिया रोग के मुख्य कारण 

• तन्त्रिका तंत्र शोथ। 

• क्रियात्मक व्यवधान। 

• वंश परम्परागत दोष। 

• शारीरिक व मानसिक दुर्बलता। 

• अधिक दिनों तक मलेरिया ज्वर (बुखार) से पीड़ित रहना।

• अंग से अधिक कार्य लेना।

• गर्मी ( सिफलिस ) रोग तथा दांतों का क्षय।

• अधिक मद्यपान करना।

• चोट, वात, बहुमूत्र, कैन्सर आदि रोगों से भी नाड़ी शूल उत्पन्न हो जाता है।

• ऋतु परिवर्तन।

• रोग भोगते रहने के कारण कमजोरी, गठिया रोग।

नोट– इस प्रकार का शूल ( नाड़ी शूल ) सूजन ( शोथ ), प्रदाह के कारण अथवा तन्त्रिकाओं की कार्य प्रणाली में व्यवधान अथवा दोष उत्पन्न हो जाने से होता है। 

न्यूरेल्जिया रोग के प्रमुख लक्षण 

• रोगी को जिस मुख्य स्नायु को लेकर यह दर्द उठता है उसमें सबसे पहले झनझनाहट होती है। तदुपरान्त सम्बन्धित नाड़ी ( यदि हाथ – पैर तक सम्बन्धित है तो ) काम करते करते अथवा बैठे – बैठे वह एकाएक सुन्न हो जाती है।

• यह दर्द कभी हल्का तो कभी बहुत ही कष्टदायक, कभी मात्र 2-4 सेकैण्ड तो कभी 2-4 घण्टे या कभी – कभी 1-2 दिन तक रहकर रोगी को कष्ट देता है। यह दर्द कभी कभी स्थान भी परिवर्तित कर देता है यानि जिस स्थान पर रोगी को दर्द होता है वह वहाँ से हटकर दूसरे स्थान पर चला जाता है।

• यह दर्द फाड़ डालने के सदृश अथवा कांटा चुभने के समान, विद्युत गति की भांति, टनटनाना, झनझनाना अथवा जलन करना इत्यादि अनेक प्रकार का हो सकता है। 

• रोगी को प्राय: मलावरोध / कब्ज की शिकायत रहती है। कई – कई दिनों तक मल त्याग नहीं होता है। छाती के स्थान पर दर्द होने से घबराहट बेचैनी तथा श्वास कष्ट और हरारत ( हल्का बुखार ) हो जाना आदि लक्षण भी हो सकते हैं। 

• रोगी को जब मस्तिष्कीय स्नायु में यह रोग होता है तब रोग की उग्रावस्था में अनिद्रा ( नींद न आना ) बेचैनी, बेहोशी आदि लक्षण भी रोगी में हो सकते हैं।

• यदि छाती के स्थान का दर्द है तब रोगी को श्वास लेने में कठिनाई होती है।

न्यूरेल्जिया रोग की जांच / पहचान  

• लक्षणों के आधार पर रोग निदान / पहचान में कोई कठिनाई नहीं होती है।

• नाड़ीशूल कई प्रकार का होता है। यथा – चेहरे का स्नायुशूल ( Trigeminal Neuralgia ), अधक पारी का दर्द, कमर के स्नायु का दर्द आदि। 

• आमाशय, हृदय, यकृत, डिम्बाशय तथा अण्डकोष के स्नायुओं में भी दर्द हो सकता है। इनमें चेहरे का स्नायुशूल ( Trigeminal Neuralgia ) और गृध्रसी ( साइटिका ) का शूल अधिक होता है। 

न्यूरेल्जिया रोग का परिणाम / भावीफल 

• कभी – कभी यह दर्द इतना तीव्र होता है कि रोगी को अत्याधिक कष्ट बर्दाश्त करना पड़ता है। 

• यह दर्द दौरे के रूप में होता है जो कुछ सेकेण्डों से लेकर घण्टों तक रह सकता है। दर्द पूर्ण रूपे से शान्त हो जाता है अथवा कुछ न कुछ बना रहता है। 

नोट– पाठकों इस रोग प्रकरण में वर्णित रोग  ‘तन्त्रिका तन्त्र के रोग’ ( न्यूरोलॉजी ) आयुर्वेदीय मतानुसार ‘वात रोग’ हैं। आयुर्वेद में 80 प्रकार के वात रोग होते हैं। अतः इसको भी उसी के अन्तर्गत ( अधकपारी, गृध्रसी, आदि के समान ही ) समझना चाहिए।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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