Gathiya ka gharelu ilaaj | गठिया का घरेलू इलाज

रोग परिचय: Gathiya ka gharelu ilaaj जानने से पहले रोग परिचय को जानें। इस रोग से पीड़ित रोगी को रक्त के अन्दर ‘यूरिकाम्ल’ (यूरिक एसिड) की मात्रा बढ़ जाती है। सर्वप्रथम लन्दन के एक डॉक्टर A.B. Garrod ने यह बताया कि वातरक्ता के रोगी के रक्त में यूरिक एसिड अधिक मात्रा में एकत्रित होता है। Purine युक्त आहारों (यथा मांस, मछली आदि भोजनों (Exogenous) तथा अपने शरीर सम्बन्धी सेलों की (Nuclei) के पाचन से (Endogenous) — Nucleoproteins की उत्पत्ति होती है।

उससे उत्पन्न Nuclein से Nuclein Acid की उत्पत्ति होती है जिसमें Purin Ring (C5, N4) पाया जाता है। आन्त्रि रस के Nuclease से यह पदार्थ (Adenine Aminopurin) तथा Guanine (Diaminopurin) इन Nucleotides में परिवर्तित हो जाता है, जो आंत में से विलीन होकर तथा शरीर के अवयवों में Oxidation के द्वारा क्रमश: Hypoxanthine  Oxypurin) और Xanthine (Dioxypurin) में परिवर्तित हो जाते हैं और फिर Oxidation के द्वारा Uric Acid (Trioxypurin) बन जाते हैं।

इस रोग में शरीर के अन्दर इसी (Uric Acid) की मात्रा इससे 2-3 गुणा अथवा इससे भी अधिक हो जाती है। हालांकि इसकी विशेष वृद्धि अवयवों (Extra Vascular Fluid) में होती है तथापि रक्त में भी इसकी वृद्धि होती है। इसकी मात्रा शरीर में बढ़ती ही नहीं पर शरीर द्रव में घुले रहने के स्थान पर यह अपने कुछ कम घुलनशील रूप Sodium Urate में परिवर्तित होकर अवयवों में बैठने भी लग जाता है। यूरिक एसिड की शरीर में से निकासी मूत्र द्वारा आधा ग्राम दैनिक मात्रा में Sodium तथा Potassium के Urate के रूप में होती रहती है।

शेष बचा यूरिक एसिड आंत द्वारा निकल जाता है। इस रोग के वेग के समय इसकी निकासी बढ़ जाती है। 7.0 mg/dl दैनिक से अधिक हो तो इस रोग निश्चय हो जाता है। यद्यपि रोग होने से कुछ पहले इसकी यह निकासी घट जाती है। अस्तु ! रक्त में यूरिक एसिड के अत्यधिक हो जाने तथा ऊतकों और जोड़ों में सोडियम यूरेट के एकत्रित होने के कारण जोड़ों में (विशेषकर पैर के अंगूठे की प्रपद – अंगुलास्थि सन्धि में )

सूजन हो जाने पर बहुत तेज दर्द होता है (जो प्राय: अचानक रात में आरम्भ होता है) तथा यह रोग प्रायः पुराने शराबियों में होता है। संक्षेप में कहा जा सकता है कि यह एक ऐसा रोग है जो प्यूरिन (Purine) मेटाबोल्जिम में गड़बड़ी से होता है। इस रोग में यूरिक एसिड साल्ट (यथा— सोडियम बाइयूरेट ) जोड़ों के कार्टिलेज, बर्सा (Bursa) और लिगामेन्ट (Ligament) में एकत्रित हो जाता है।

गठिया रोग का मुख्य कारण | Gathiya rog ka mukhy karan:

• Gathiya ka gharelu ilaaj जानने से पहले इसका सही कारण जानें। इसका सही कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो सका है क्योंकि स्मरण रहे कि कुछ एक के सीरम में यूरिक एसिड तो अधिक होता है किंतु उनमें यह रोग नहीं होता है परंतु यह अवश्य देखा गया है कि रोगी के माता-पिता में से किसी एक को यह रोग अवश्य होता है। अतः प्राइमरी गाउट एक अनुवांशिक विकार है। यानी पैतृक परंपरा से चलता आ रहा है।

मुख्यतः यह रोग लड़कों में आता है लड़कियों में नहीं। अर्थात (Gouty) पिता की संतान में (Uricase) नामक एंजाइम की कमी पैतृक परंपरा से आती है। इसके अतिरिक्त यह बात भी स्मरणीय है कि यह रोग प्रसुप्त रूप से बहुत से लोगों में रहता है, किंतु उनमें से केवल 10% में ही प्रकट (अथवा क्लीनिकल रूप में) होता है।

• द्वितीयक गाउट अधिकांशता हेमाटोलोगिकल विकार के उपद्रव रूप में मिलता है (पोलीसिथेमिया ल्यूकेमिया आदि में) ।

• औषधियों (तथा- फ्यूरोसेमाइड व थायजाइज आदि) के सेवन से।

• ऐसा रोगी जिनके परिवारों में यह रोग पहले से होता है। अधिक शराब पीने, कोई चोट लगने अथवा ऑप्रेशन के बाद उनमें यह रोग आरम्भ हो जाता है।

• वृक्कों/गुर्दों के द्वारा यूरिक एसिड पूर्णरूपेण शरीर में से नहीं निकल पाता है जिससे रक्त में इसकी मात्रा बढ़ती चली जाती है। इससे ‘यूरिक एसिड’ के क्रिस्टल बनकर कनेक्टिव टिश्यू में एकत्र हो जाते हैं। (जिनको टॉफी Tophi) भी कहा जाता है।

गठिया रोग के प्रमुख लक्षण व चिन्ह:

• Gathiya ka gharelu ilaaj जानने से पहले इसका लक्षण जानें।

• यह रोग सदैव 40 वर्ष से अधिक आयु के रोगियों में मिलता है।

• रोग- स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में अधिक पाया जाता है।

इस रोग के मुख्य नीचे लिखे दो लक्षण हैं-

(A) सन्धिशोथ (Arthritis) 

(B) बर्साइटिस (Bursitis) 

(A) आर्थराइटिस (Arthritis)

• इस रोग का आक्रमण बार-बार होता है। इसका आक्रमण अचानक तथा प्राय: रात में होता है।

• यह रोग मुख्यतः हाथ व पैरों के छोटे जोड़ों में मिलता है।

• सन्धि/जोड़ में सूजन व दर्द होता है तथा वह फूलकर लाल हो जाता है।

• दर्द की अधिकता के कारण रोगी अपने हाथ-पैर को हिला नहीं पाता है।

• कुछ दिनों के उपरान्त आक्रमण समाप्त होने पर रोगी की दशा सामान्य हो जाती है।

• पुराने रोगियों में एक साथ बहुत सी सन्धियों में कष्ट होता है तथा वे मोटी हो जाती है।

(B) बर्साइटिस (Bursitis)

• गाऊट में ओलेक्रानन बर्सा (Olecranon Bursa) सर्वाधिक प्रभावित होता है। तथा इसमें द्रव एकत्र हो जाता है।

• रोगी के पसीने में अजीब सी गन्ध (Smell) आती है।

• रोगी द्वारा जमीन पर मूत्र त्याग के सूखने पर लाल रंग की सतह बन जाती है।

• रोगी के कानों के कार्टिलेज में भी यूरिक एसिड साल्ट एकत्र हो जाता है तथा उसकी गांठ बन जाती है (जिसे ‘टाफी’ Tophi कहते हैं)

जाँच/पहचान:

• Gathiya ka gharelu ilaaj जानने से पहले इसके जाँच को समझें।

• E.S.R- बढ़ा हुआ।

• श्वेत रक्त कण वृद्धि (Polymorphonuclear Leukocytosis) 20-25 हजार तक।

• मूत्र में 2-3 दिन यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ी हुई।

• मूत्र का रंग-गहरा तथा थोड़ा एल्ब्यूमिन भी।

• प्लाज्मा में-यूरिक एसिड बढ़ा हुआ।

• जोड़ के द्रव की सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोपिक) जाँच में क्रिस्टल मिलते हैं।

एक्स रे (X – ray):

• Gathiya ka gharelu ilaaj जानने से पहले इसके एक्स रे के बारे में जानें।

• रोगी का एक्स-रे आरम्भिक दशा में सामान्य आता है।

• पुराने रोगियों में जोड़ के आस-पास की हड्डी में परिवर्तन दिखाई देते हैं।

रोग निदान:

• Gathiya ka gharelu ilaaj जानने से पहले रोग निदान के बारे में जानें।

• रोग का बार-बार आक्रमण होना।

• स्वतः (अपने आप) ही जोड़ो में दर्द व सूजन समाप्त होकर रोगी का सामान्य हो जाना।

• कानों की लोब में टॉफी का मिलना।

• प्लाज्मा में यूरिक एसिड का अधिक मिलना।

• रोगी का पारिवारिक इतिहास (फैमिली हिस्ट्री)|

• सायनोवियल द्रव में क्रिस्टल का मिलना।

• चिकित्सा से तुरन्त रोग में फर्क पड़ना।

गठिया के लिए घरेलू नुस्खे | Gathiya ka gharelu ilaaj

• 100 ग्राम हल्दी, 100 ग्राम मेथी, 100 ग्राम सोंठ सबको बारीक पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें इसको 1 चम्मच सुबह और 1 शाम रोज दूध के साथ लें। नाश्ता और खाना के बाद लें।

• अरण्डी के बीज 1 माशा तथा काली मिर्च 2 माशा सिल-पत्थर पर पानी के साथ पीसकर 250 मिली० पानी में छानकर सेवन करने से गठिया व सूजन नष्ट हो जाती है ।

• अरण्डी के बीजों की गिरी (मगज) 10 तोला, बादाम की गिरी 5 तोला, लौंग, केशर, छोटी पीपर और छोटी इलायची प्रत्येक 6-6 माशा इन सभी को बारीक पीस कर 1 किलो दूध (गाय का दूध) में औटायें। जब दूध जलकर खोया/मावा हो जाये तब 3 पाव चीनी की चाशनी बना लें और उस चाशनी में इस खोआ को डाल दें और उतार लें।

फिर एक साफ-स्वच्छ मिट्टी के बर्तन में उस दवा को भरकर मुंह बन्द कर दें तथा जौ के ढेर में 40 दिनों तक दबाकर रख दें। तदुपरान्त निकाल लें। इसकी मात्रा 3 माशा है। जाड़े के मौसम में इसको सेवन करने से गठिया रोग शार्तिया ठीक हो जाता है। इसकी मात्रा धीरे-धीरे सहनशक्ति के अनुसार बढ़ाकर 1 तोला तक कर दें तथा चिकित्सा काल में रोगों को परहेज करायें। तदुपरान्त कोई पौष्टिक/ताकतवर पाक या बादाम का हलवा खिलायें।

• अरण्डी को पानी में पीस कर लेप करने से वातरक्त में आराम हो जाता है।

• बकरी के दूध में गेहूँ का आटा उबालकर उसका लेप करने से वातरक्त नष्ट हो जाता है।

• ताल मखाने और गिलोय का काढ़ा बनाकर तथा पीपर मिलाकर (निरन्तर 3 सप्ताह) सेवन करने से वातरक्त रोग नष्ट हो जाता है।

• करेले के रस में शहद मिलाकर नियमित सेवन करने से अथवा हरड़ का चूर्ण मिलाकर खाने से वातरक्त में लाभ होता है।

• गिलोय का स्वरस पीने से वातरक्त ठीक हो जाता है।

• पुराने व मसाला रहित गुड़ को गाय के घी में मिलाकर खाने से वातरक्त नष्ट होता है। यह हृदय के लिए भी हितकर है।

घरेलू नुस्खे के फायदे:

घरेलू नुस्खे सबसे सुरक्षित और सबसे सस्ते होते हैं। इस नुस्खे की सबसे अच्छी बात यह है कि सारे सामग्री घर पर ही उपलब्ध होते हैं। बहुत ऐसे केस में बिना डॉक्टर के पास जाए भी समस्या घर पर ही ठीक हो जाती है।

गठिया के लिए फल:

सेब

केला

आम

खीरा

गठिया के लिए योगासन:

• वीरभद्रासन

• ब्रिज पोज योग

• वृक्षासन

• कोबरा पोज

गठिया के लिए परहेज:

• मक्के का तेल

• गठिया में अधिक नमक न खाएं

• गठिया में न खाएं दूध से बने उत्पाद

• प्रोसेस्ड फूड न खाएं

• गठिया में अधिक शराब न पीएं

• गठिया में तले हुए खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए

• अर्थराइटिस में चीनी नहीं खानी चाहिए

• गठिया में लाल मांस न खाएं

• अचार न खाएं

सुझाव: जिन परिवारों में यह रोग हो उन्हें 50 के ऊपर की आयु में पहुंचने पर एहतियात के तौर पर हाई प्यूरीन (High Purine) भोजन (जांतव प्रोटींस) और मद्य का सेवन नहीं करना चाहिए तथा शरीर को ‘स्थूल’ होने से बचाना चाहिए और कभी-कभी Blood Uric Acid का टेस्ट कराना चाहिए तथा 2.4-6.0 mg/dl से अधिक बढ़ने नहीं देना चाहिए।

सावधानियां: यह लेख सामान्य जानकारी के लिए है यदि इसमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे या जिस मरीज का इलाज किसी डॉक्टर से हो रहा हो तो अपने डॉक्टर के सलाह के अनुसार ही इस घरेलू नुस्खे का प्रयोग करें।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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