Mahayograj guggul uses in hindi | महायोगराज गुग्गुल के फायदे, परिचय, सामग्री, सेवन विधि, सावधानियां

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परिचय:

महायोगराज गुग्गुल एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जो भारतीय चिकित्सा पद्धति में उपयोग होती है। यह गुग्गुल के रूप में जानी जाती है, जिसका वैज्ञानिक नाम “Commiphora wightii” है। यह आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रसिद्ध है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है।

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महायोगराज गुग्गुल के घटक: महायोगराज गुग्गुल बनाने के लिए सामग्री: mahayograj guggul ingredients:

सोंठ, छोटी पीपल, चव्य, पीपलामूल, चित्रकमूल की छाल, घी में सेंकी हुई हींग, अजवायन, पीली सरसों, जीरा दोनों, रेणुका, इन्द्रजव, पाठा, वायविडंग, गजपीपल, कुटकी, अतीस, भारंगीमूल, मूर्वा और वच प्रत्येक का कपड़छन चूर्ण 3-3 माशे, हर्रे, बहेड़ा, आँवला समभाग तीनों का कपड़छन चूर्ण 10 तोला, गिलोय और दशमूल के क्वाथ में शुद्ध किया हुआ गुग्गुलु 15 तोला, बंग भस्म, रौप्य भस्म, नाग भस्म, लौह भस्म, अभ्रक भस्म, मण्डूर भस्म और रससिन्दूर 

प्रत्येक 4-4 तोला लें। प्रथम काष्ठौषधियों का चूर्ण कर लें, पश्चात् रससिन्दूर को खरल में अच्छी तरह घोंट कर अन्य भस्मों को तथा काष्ठौषधियों के चूर्ण को मिला, घोंटकर शुद्ध गुग्गुलु में मिला, घी या एरण्ड तैल के साथ कूट कर 2-2 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। यह महायोगराज गुग्गुलु है। 

(यदि भस्म न मिले, तो बिना अस्म के भी तैयार कर सकते हैं, परन्तु भस्म वाला विशेष गुणदायक होता है) अन्य सब दवाओं को एकत्र मिला, चूर्ण कर शुद्ध गुग्गुलु में मिलाकर एरेंड के तेल के साथ इमामदस्ते में कूट कर 3-3 रत्ती की गोलियाँ बना, छाया में सुखा कर रख लें। बिना भस्म मिलाये बनाए को योगराज गुग्गुलु कहते हैं। 

नोट: कोई-कोई गुग्गुलु को त्रिफला और गिलोय के क्वाथ में शुद्ध किये बिना ही साफ कर और कूट कर उसमें अन्य द्रव्य मिला, गोलियाँ बना लेते हैं। यदि गुग्गुलु अच्छा साफ हो तो ऐसा भी कर सकते हैं।

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महायोगराज गुग्गुल सेवन विधि: mahayograj guggul uses: 

1-1 गोली सुबह-शाम निम्नलिखित अनुपान के साथ दें। 

अनुपान:

समस्त वातविकार में रास्नादि क्वाथ से, वातरक्त में गिलोय के क्वाथ से, मेदोवृद्धि में शहद से, पाण्डुरोग में गोमूत्र से, कुष्ठरोग में नीम की छाल के क्वाथ से, शोथ और शूल में पीपल के क्वाथ से, नेत्र रोग में त्रिफला क्वाथ से, उदर रोगों में पुनर्नवा के क्वाथ से देना चाहिए।

वात रोगों को शान्ति के लिए:

रास्ना, गिलोय, एरण्डमूल, दशमूल, प्रसारणी और अजवायन के क्वाथ सेव करना चाहिए।

पित्त रोगों की शान्ति के लिये:

जीवनीयगण की औषधियों में से किसी एक के क्वाथ के साथ अथवा वासा, लाल-चन्दन, नेत्रवाला, मुनक्का, कुटकी, खजूर, फालसा, जीवक और ऋषभक के क्वाथ के साथ दें।

कफ रोगों की शान्ति के लिये:

त्रिकुटा, गोमूत्र, नीम की छाल, पोहकरमूल, गिलोय, अजवायन और पीपलामूल के क्वाथ के साथ सेवन करें।

त्रण, नासूर, ग्रंथि, गण्डमाला, अर्बुद, प्रमेह में:

त्रिफला क्वाथ के साथ दें। 

खुजली पीड़िका के लिये:

दारूहल्दी और पटोलपत्र के क्वाथ के साथ दें। 

जलोदर और किलास कुष्ठ के लिये:

हर्रे, पुनर्नवा, दारूहल्दी, गोमूत्र और गिलोय के क्वाथ के साथ दें।

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महायोगराज गुग्गुल के कुछ प्रमुख फायदे निम्नलिखित होते हैं: mahayograj guggul uses in hindi: mahayograj guggul ke fayde

1. सूजन और दर्द कम करना: गुग्गुल के रसायनिक गुणों की वजह से यह शरीर की सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। यह आर्थराइटिस, जोड़ों का दर्द और स्वेलिंग जैसी समस्याओं के इलाज में उपयोगी हो सकता है।

2. कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करना: महायोगराज गुग्गुल के नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

3. वजन प्रबंधन: यह विशेष रूप से वजन प्रबंधन में मदद कर सकता है। गुग्गुल के तत्वों का मानव शरीर में मेटाबोलिज्म को बढ़ावा मिलता है, जिससे वजन को कम करने में सहायक हो सकता है।

4. श्वसन संबंधित समस्याओं का इलाज: गुग्गुल के औषधीय गुण थायरॉयड से संबंधित समस्याओं के इलाज में मदद कर सकते हैं, जैसे कि हाइपोथायराइडिज्म।

5. शरीर की पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को बढ़ावा देना: गुग्गुल के तत्व शरीर की पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने में मदद कर सकते हैं, जिससे जल्दी रोगियों की स्थिति सुधार सकती है।

6. प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट: गुग्गुल एक प्राकृतिक एंटीऑक्सिडेंट होता है, जिससे शरीर के अंदर होने वाले विषाणुओं के प्रति सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।

7. आमाशय की समस्याओं का समाधान: गुग्गुल का उपयोग आमाशय संबंधित समस्याओं, जैसे कि अपच, गैस्ट्रिक, आदि के इलाज में किया जा सकता है।

नोट: ध्यान दें कि हर व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति अलग होती है, इसलिए किसी प्रकार की औषधि को सेवन करने से पहले अपने चिकित्सक से ज़रूर सलाह ले लेनी चाहिए।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

FAQ:

महायोगराज गुग्गुल क्या है?

महायोगराज गुग्गुल एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है जो भारतीय चिकित्सा पद्धति में उपयोग होती है। यह गुग्गुल के रूप में जानी जाती है, जिसका वैज्ञानिक नाम “Commiphora wightii” है। यह आयुर्वेदिक औषधि के रूप में प्रसिद्ध है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में उपयोग किया जाता है।

महायोगराज गुग्गुल का घटक क्या है?

सोंठ, छोटी पीपल, चव्य, पीपलामूल, चित्रकमूल की छाल, घी में सेंकी हुई हींग, अजवायन, पीली सरसों, जीरा दोनों, रेणुका, इन्द्रजव, पाठा, वायविडंग, गजपीपल, कुटकी, अतीस, भारंगीमूल, मूर्वा और वच प्रत्येक का कपड़छन चूर्ण 3-3 माशे, हर्रे, बहेड़ा, आँवला समभाग तीनों का कपड़छन चूर्ण 10 तोला, गिलोय और दशमूल के क्वाथ में शुद्ध किया हुआ गुग्गुलु 15 तोला, बंग भस्म, रौप्य भस्म, नाग भस्म, लौह भस्म, अभ्रक भस्म, मण्डूर भस्म और रससिन्दूर प्रत्येक 4-4 तोला लें। प्रथम काष्ठौषधियों का चूर्ण कर लें, पश्चात् रससिन्दूर को खरल में अच्छी तरह घोंट कर अन्य भस्मों को तथा काष्ठौषधियों के चूर्ण को मिला, घोंटकर शुद्ध गुग्गुलु में मिला, घी या एरण्ड तैल के साथ कूट कर 2-2 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें। यह महायोगराज गुग्गुलु है। 

महायोगराज गुग्गुल क्या फायदे हैं?

यह सभी प्रकार के वातव्याधि, आमवात, अपस्मार, पक्षवात, सन्धिवात, वातरक्त आदि में फायदेमंद है।

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