इस आर्टिकल में जानेंगे (Urinary Tract Infection ka karan aur lakshan in hindi) मूत्र मार्ग संक्रमण का कारण और लक्षण, निदान।
रोग परिचय
यदि मूत्र में जीवाणुओं की उपस्थिति हो तो उसको यू० टी० आई० (Urinary Tract Infection) कहा जाता है। यदि जीवाणु की संख्या 100,000 अथवा इससे अधिक प्रति मिलीलीटर मूत्र में हो तभी इसे यू० टी० आई० (मूत्रमार्ग का संक्रमण) यूरीनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन कहते हैं।
Urinary Tract Infection का कारण (Aetiology)
• इस रोग का मुख्य कारण जीवाणु का मूत्रमार्ग में प्रवेश है। यह जीवाणु / रोगाणु निचले भाग वाले मूत्र मार्ग से ऊपर पहुँच जाते हैं। कभी रक्त द्वारा अथवा लिम्फेटिक मार्ग से भी पहुंचते हैं।
• यह रोग स्त्रियों में पुरुषों की अपेक्षा अधिक मिलता है। मुख्यतः गर्भकाल के दौरान यह रोग अधिक पाया जाता है।
• मधुमेह रोग से पीड़ित रोगी प्राय: इस रोग से ग्रस्त होते है।
• मूत्र संस्थान में किसी भी स्थान पर रुकावट आने से बैक्टीरिया अपनी संख्या गुणित होकर बढ़ते रहते हैं।
• कैथेटर लगाने से अथवा कोई औजार (यन्त्र) प्रयोग करने के बाद में ऐसा इन्फेक्शन होने की सम्भावना रहती है।
• मूत्राशय में पथरी (रीनल कैल्कुलस) भी इसका एक प्रमुख कारण है।
Urinary Tract Infection के लक्षण (Symptoms)
• रोगी / रोगिणी को मूत्र त्याग करने में पीड़ा।
• मूत्र त्याग बार – बार होना।
• नीचे तलपेट / पेडू में दर्द रहना।
• ज्वर तथा हल्की – हल्की सर्दी लगना। हाजत बने रहना।
• तीव्र मूत्राशय शोथ में मूत्र त्याग कर चुकने के बाद भी मूत्र त्याग की इच्छा।
• मूत्र मवाद के कारण धुँधला और गाढ़ा सा तथा कभी – कभी रक्त भी आता है।
• रोगी को पथरी होने की स्थिति में दर्द बहुत तेज होता है।
• मूत्र की मात्रा में कमी इस बात की परिचायक है कि मूत्र संस्थान में कहीं रूकावट है। निर्जलीकरण की दशा, ज्वर की अवस्था अथवा अधिक वमन / उल्टियां लगने पर भी ऐसी स्थिति देखने को मिलती है।
• संक्रमण के बार – बार अथवा लम्बे समय तक होने से रोगी का शरीर थका हुआ, सिरदर्द, कमजोरी तथा तलपेट (पेडू) में हल्का दर्द होने का लक्षण मिलता है।
• बच्चों में भूख कम लगना, जी घबराना, वमन (उल्टी) होना, दस्त अथवा पेट दर्द आदि मुख्य लक्षण होते हैं।
• गुर्दे की तीव्र और अचानक संक्रमण (Acute Pyelonephritis) में रोगी को कमर में एक अथवा दोनों तरफ दर्द उठता है जो पेडू से होता हुआ जघनास्थि (Pubic Bone) के ऊपर वाले प्रदेश (Area) की ओर जाता है।
• जब संक्रमण मूत्र संस्थान के निचले भाग तक ही सीमित रहता है तो बार – बार मूत्र त्याग, जलन, मूत्राशय के स्थान पर भारीपन एवं दर्द मुख्य लक्षण होते हैं।
Urinary Tract Infection रोगी की पहचान / निदान
• उपरोक्त लक्षणों के आधार पर रोग निदान सरलतापूर्वक हो जाता है।
• मूत्र की सूक्ष्मदर्शी यन्त्र द्वारा जाँच (माइक्रोस्कोपिक टेस्ट) तथा कल्चर कराने पर उसमें मवाद की उपस्थिति मिलती है।
• मूत्र देखने में धूंधला, सफेद तथा गाढ़ा सा, रक्त कोशिकायें, बैक्टीरिया, कास्ट और ल्यूकोसाइट उपस्थित मिलते हैं। ल्यूकोसाइट में तीव्र पायलोनेफ्राइटिस।
• कल्चर से बैक्टीरिया के प्रकार का पता लगता है।
• रक्त की जाँच में T.L.C (टोटल ल्यूकोसाइट काउंट) वृद्धि मिलती है।
• एक्स-रे से तीव्र अवस्था के गुजर जाने के बाद एक्स-रे से पथरी, रुकावट अथवा अन्य किसी बनावटी कष्ट / परेशानी का पता लग जाता है।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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