Angina Pectoris: भारत में बढ़ रहे हैं हृदयशूल के मामले, किस कारण से होता है हृदयशूल?

इस आर्टिकल में आप जानेंगे हृदयशूल (Angina Pectoris) होने के कौन-कौन से कारण हैं? भारत में सीवीडी से होने वाली मौतों की वार्षिक संख्या 2.26 मिलियन (1990) से बढ़कर 4.77 मिलियन से अधिक(2022) में होने का अनुमान है। पिछले कई दशकों में भारत में कोरोनरी हृदय रोग की व्यापकता दर का अनुमान लगाया गया है और ग्रामीण आबादी में 1.6% से 7.4% और शहरी आबादी में 1% से 13.2% तक है।

हृदय दर्द (Angina Pectoris) होने के प्रमुख कारण (Aetiology)

• मध्य आयु के उपरान्त स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों में यह रोग 10 गुणा अधिक होते पाया गया है।

• कुछ विद्वान चिकित्सक इस रोग को वंशपरम्परागत भी मानते हैं।

• मस्तिष्क (मानसिक श्रम) कार्य करने वालों को यह रोग अधिक होता है।

• उपदंश / आतशक (सिफलिस- Syphilis) रोग से इस रोग का सीधा सम्बन्ध है।

• तीव्र रोग।(जैसे- मलेरिया, इन्फ्लूएञ्जा या आमवातिक ज्वर) के उपरान्त यह रोग उत्पन्न होता है।

• मानसिक थकान, अधिक भोजन, हृदय रोग, अधिक तम्बाकू का सेवन तथा उत्तेजना इस रोग की उत्पत्ति में सहायक है।

• बहुत दिनों तक मानसिक उद्वेग, हृदय रोग, शराब का सेवन, रक्त वाहिनियों के रोग, गुर्दों के रोग तथा स्थूलता (मोटापा) आदि भी इस रोग के उत्पादक कारणों में सम्मिलित हैं।

• चिन्ता तथा अत्याधिक शारीरिक श्रम भी इस रोग के उत्पन्न होने का सहायक माने जाते हैं। अस्तु- हृदय शूल अधिकांशता कोरोनरी धमनी में मेदार्बुद (Atheroma) के होने से होता है। इसके अतिरिक्त कभी – कभी नीचे लिखी स्थितियों में भी यह रोग हो सकता है।

• महाधमनी बाल संकीर्णता अथवा महाधमनी कपाट – असमर्थता।

• फुफ्फुसीय धमनियों की सिफलिसी संकीर्णता।

• कोरोनरी धमनियों का जन्मजात दोष।

• गम्भीर रक्तअल्पता।

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अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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