भारत में दिन प्रतिदिन हृदय रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है इसका सबसे बड़ा कारण ग़लत खान-पान और ग़लत जीवन शैली का होना ही है। इस लेख में आप जानेंगे हृदयशूल के प्रमुख लक्षण और निदान (Dil me dard hone ke lakshan aur janch in hindi) जोकि नीचे विस्तार पूर्वक बताये गए हैं।
हृदयशूल के प्रमुख लक्षण (Symptoms)
• रोगी को स्टर्नम के पीछे एकाएक छाती में बहुत तेज दर्द उठता है जो कि बांयी ओर छाती में कमर से होता हुआ बांये कन्धे, गर्दन और बांये हाथ तक फैल जाता है।
• दर्द की तीव्रता अधिक होने के साथ में कभी-कभी छाती में भारीपन, जलन, चुभन तथा छाती में जकड़ाहट होना आदि कष्ट भी रोगी बतलाता है।
• यह दर्द प्राय: शारीरिक काम अथवा थकान के उपरान्त आरम्भ होता है। (अन्य कारणों से भी दर्द शुरु हो सकता है) यथा मानसिक चिन्ता, थकान, क्रोध, भय, भारी (गरिष्ठ) भोजन, सम्भोग कर्म, कब्ज आदि।
• यह दर्द प्राय: 2-3 मिनट तक रहता है तथा आराम (Rest) करने पर कम हो जाता है।
विशेष– यदि आधा घण्टा तक दर्द कम न हो तो मायोकार्डियल इस्किमिया के लिए जांच करानी चाहिए तथा रोगी के मुख में जीभ के नीचे नाइट्रोग्लिसरीन (आइसोसोरबिड) की गोली रखकर चूसने से दर्द में आराम मिलता है। यह हृदय स्थान में एक में विशेष प्रकार का दर्द होता है जो एकाएक या तो आराम के समय उठता है अथवा रात को सोने के समय उठता है।
पहले दर्द एकाएक उठकर क्रमश: धीरे-धीरे कम होता है। दर्द का अनुभव रोगी प्राय: छाती के अगले भाग में तथा कभी-कभी पिछले भाग में अनुभव होता है। रोगी को सांस लेने में कष्ट होता है। आँख व नाक से कभी-कभी पानी भी निकलता है।
कभी-कभी रोगी को मितली (जी मिचलाना) अथवा वमन / कय (Nausea and Vomiting) भी होता है, कभी हिचकी / हिक्का (हिक्कफ) का भी कष्ट होता है। हृदय की धड़कन और नाड़ी (पल्स) की गति तीव्र हो जाती है।
चिह्न (Signs)
• अधिकांशता रोगियों में बाहरी चिन्ह सामान्य होते हैं। रोगी में हाइपरटेन्शन, टेकीकार्डिया अथवा ब्रैडीकार्डिया (हृदय की गति मन्द अथवा तीव्र होना) के चिन्ह मिल सकते हैं।
• दर्द तेज होने पर रोगी को पसीना आने लगता है अथवा सूखी वमन (उल्टी) का कष्ट भी हो सकता है।
निदान (Diagnosis)
• निदान के लिए रोगी का पूरा इतिहास (हिस्ट्री) लेना चाहिए।
• ई० सी० जी० इसमें हृदय में आये परिवर्तन का पता लग जाता है। (यदि यह दौरा पड़ने के दौरान किया जाये अथवा परिश्रम कराने के बाद किया जाये)
अन्य जांच
• स्ट्रेस टेस्ट (Stress test)
• होल्टर (E.C.G)
• कोरोनरी एन्जियो ग्राफी।
रोग का विभेदक निदान
• हृदय सम्बन्धी विक्षिप्त (कार्डियक न्यूरोसिस)
• परिहृद् शोथ ( पेरिकार्डाइटिस )
• और्विक हर्निया (हाइएटस हर्निया)
• ग्रासनली शोथ (ऐसोफैजाइटिस)
• परिफुफ्फुसशोथ ( प्लूरिसी )
• गैस का दर्द
• पित्त की थैली का रोग
• पसलियों का शोथ (कॉस्टोकोंड्राइटिस)
रोग का परिणाम / भावीफल
• रोग के पहले ही आक्रमण में रोगी की मृत्यु हो सकती है। प्रायः 50 % रोगियों की मृत्यु सदैव अकस्मात् (suddenly) हृदय कार्याविरोध से होती है।
• दौरे के उपरान्त जीवित रहने पर रोगी जोर-जोर से सांस लेता है। प्राय: मूत्र पीला होता है। खाली डकारें आती है। रोगी कष्ट से छटपटाता है।
इसे भी पढ़ें: [दिल में दर्द (हृदयशूल) के प्रमुख कारण]
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।