Colitis: बड़ी आंत की सूजन मतलब कोलाइटिस किसे कहते हैं और कोलाइटिस के लक्षण

इस ले में जानेंगे (colitis kise kahte hain in hindi) बृहद आन्त्र शोथ (Colitis) किसे कहते हैं?

पर्यायवाची: बड़ी आंत की सूजन

कोलाइटिस किसे कहते हैं?

आंतों में सूजन व व्रण तथा बार-बार खूनी दस्त होना-आन्त्रशोथ (आंतों की सूजन) कहा जाता है। बड़ी आंत ‘कोलन’ (Colon) में यह रोग होता है जिसे अंग्रेजी में कोलायटिस कहा जाता है। यह रोग बैसिलरी डिसेण्ट्री होने पर भी होता है। क्षय रोग में भी यह हो जाता है। इसके अतिरिक्त खाद्य व पेय द्वारा आंतों में संक्रमण होने से यह रोग उत्पन्न होता है। 

शोथ बड़ी आंत की श्लैष्मिक झिल्ली (म्यूकस मेम्ब्रेन mucous membrane) में होती है, इस रोग में मल/पाखाना की साथ अत्यधिक मात्रा में ऑव (म्यूकस) अर्थात श्लैष्मिक झिल्ली के टुकड़े निकलते रहते हैं तथा कूथन के साथ दर्द होता है। जल्द-जल्द दस्त आना, रोग पुराना होने पर आंव और रक्त आना, कूंथन, असहनीय दर्द आदि प्रमुख लक्षण हैं। रोग के प्रारम्भ में ज्वर दस्त साथ विषमता (टॉक्सीमिया) भी पायी जाती है। 

इस रोग में नीचे लिखे प्रकार के लक्षण मिलते हैं-

 1. विषमयता, कमजोरी, ज्वर, दस्त और शरीर में पानी की कमी के लक्षण मिलते हैं। रक्त की जांच, करने पर रक्त में श्वेत कणों की वृद्धि (ल्यूकोसायटोसिस) मिलती है।

 2. पहले पतले दस्त होते हैं, फिर कब्ज हो जाती है, फिर दस्त आरम्भ हो जाते हैं, दस्तों में स्राव व मवाद मिलते हैं। आगे चलकर पेट में दर्द और मरोड़ भी होती है।

• मल त्याग के पूर्व रोगी को दर्द होता है।

• हल्का ज्वर रह सकता है।

• शारीरिक भार (वजन) घटता है।

• रक्ताल्पता होती है।

• रोग का आरम्भ धीरे-धीरे या एक दम दस्तों के साथ होता है।

• रोग बढ़ने पर विषमयता, अत्याधिक कमजोरी, नाड़ी की गति तेज और तेज ज्वर हो सकता है।

• प्रारम्भ में समुचित चिकित्सा के अभाव में रोग पुराना/जीर्ण (क्रोनिक) हो जाती है। जीर्णावस्था में बड़ी आंत एक दम संकीर्ण (तंग) हो जाती है और उसकी शक्ति नष्ट हो जाती है। रोगी को बार-बार दस्त लगते हैं। नाभि के नीचे उण्डुक क्षेत्र (एपेण्डिक्ट एरिया) में सदैव दर्द रहता है जो दबाने पर महसूस होता है। पेट फूला हुआ भी पाया जा सकता है। उचित चिकित्सा के अभाव में आंत में छेद होकर रोगी की मृत्यु हो जाती है।

• पेचिश, टायफायड, पुराना कष्टप्रद कब्ज, क्षय रोग जीर्ण ज्वर, आतशक, बार-बार लौट आने वाला अतिसार, अपच, अजीर्ण एवं पेट में गैस (वायु) बनने का पुराना रोग आदि कारणों से मुख्यतः यह रोग स्वतः हो जाया करता है। कभी-कभी यह रोग एक बार आराम हो जाने के बाद पुनः उभर आता है। बड़ी आंत प्रदेश पर दबाने से दर्द होता है। जटिल रोग में रोगी की दशा बिगड़ने पर प्रायः 3 दिन में रोगी की मृत्यु हो जाती है। कभी कभी रोग की पुनरावृत्ति हो जाती है। रोग जीर्ण होने पर बहुत दिनों तक कष्ट भोगना पड़ता है। शरीर दुर्बल हो जाता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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