वानस्पतिक नाम: Lagenaria vulgaris
अंग्रेजी में नाम: White gourd, Pumpkin, Trumpet gourd
हिंदी में नाम: कद्दू, दूधी, घीया, लौकी
लौकी की सब्जी के हर कोई परिचित है लेकिन इसके फायदे के बारे में सब को नहीं मालूम है। तो जानते हैं (Lauki ke juice ke fayde) लौकी जूस के फायदे और नुकसान। लौकी भारत में एक आम सब्जी है। यह हल्के पीले-हरे रंग का होता है, लौकी बोतल नुमा आकार का होता है। इसमें सफेद गूदा होता है, जिसमें सफेद बीज स्पंजी मांस होते हैं।
लौकी की उत्पत्ति और वितरण (Kaddu ki utpatti kab hui?)
लौकी की खेती अनादि काल से की जाती रही है और यह शायद मनुष्य द्वारा उगाई जाने वाली सबसे पुरानी सब्जियों में से एक है। ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी उत्पत्ति अफ्रीका में हुई थी जहाँ यह अनायास होता है जैसा कि यह भारत में भी होता है। अब यह व्यापक रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खेती की जाती है, विशेष रूप से भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, चीन, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका। लौकी गर्म मौसम की फसल है और गर्म आर्द्र जलवायु में सबसे अच्छी होती है।
लौकी के पोषक तत्व- | |
नमी | 96.1% |
प्रोटीन | 0.2% |
फैट | 0.1% |
मिनरल्स | 0.5% |
फाइबर | 0.6% |
कार्बोहाइड्रेट | 2.5% |
मिनरल्स और विटामिन- | |
कैल्शियम | 20 mg |
फॉस्फोरस | 10 mg |
आयरन | 0.7 mg |
विटामिन ए | 8,513 IU |
विटामिन सी | 9 mg |
कैलोरिफिक वैल्यू | 12 |
कद्दू के प्राकृतिक लाभ और उपचारात्मक गुण (Pumpkin’s natural benefits and healing properties)
पकी हुई सब्जी शीतल, मूत्रवर्द्धक, शामक और पित्तनाशक होती है। इसे खाने के बाद आराम का अहसास होता है। हालांकि लौकी को कच्ची अवस्था में नहीं खाना चाहिए क्योंकि यह पेट और आंतों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
मूत्र विकार में कद्दू के फायदे (Mutra rog me kaddu ke fayde)
मूत्र विकारों में लौकी बहुत ही गुणकारी है। पूरे फल को कद्दूकस करके तैयार एक गिलास ताजा रस में एक चम्मच नीबू का रस मिलाना चाहिए। मूत्र की उच्च अम्लता के कारण मूत्र मार्ग में जलन के उपचार में इसे रोजाना एक बार देना चाहिए। यह एक क्षारीय मिश्रण के रूप में कार्य करता है। मूत्र संक्रमण के उपचार में इसे सल्फा औषधि के साथ देना चाहिए। यह इस स्थिति में एक क्षारीय मूत्रवर्धक के रूप में कार्य करता है।
अत्यधिक प्यास को कम करे कद्दू (Pumpkin to reduce excessive thirst)
लौकी का रस गंभीर अतिसार, मधुमेह और वसायुक्त या तले हुए खाद्य पदार्थों के अत्यधिक उपयोग के कारण अत्यधिक प्यास के लिए एक मूल्यवान औषधि है। इस अवस्था में प्रतिदिन एक गिलास रस में एक चुटकी नमक मिलाकर पीना चाहिए। गर्मी के दिनों में इसका सेवन सोडियम की अत्यधिक हानि को रोकता है, प्यास बुझाता है और थकान को रोकने में मदद करता है।
अनिद्रा रोग में कद्दू के रस के फायदे (Benefits of pumpkin juice in insomnia)
लौकी के रस और तिल के तेल का यह मिश्रण अनिद्रा की कारगर दवा का काम करता है। इसे रोज रात को सिर की त्वचा पर मालिश करनी चाहिए। लौकी के पके पत्ते अनिद्रा के इलाज में भी फायदेमंद होते हैं।
सावधानियाँ: कच्चा कद्दू खाने से पेट और आंतों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है। कभी भी कद्दू के रस या पके हुए कद्दू का सेवन करना चाहिए। लौकी ठंडे प्रकृति का होता है जिसे ठंडे प्रकृति से एलर्जी है उसे लौकी का सेवन नहीं करना चाहिए।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।
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