जानें अनसुने पेट फूलने का कारण और लक्षण

इस लेख में जानेंगे (Pet fulne ka karan aur lakshan in hindi) पेट फूलने का कारण और लक्षण

पेट फूलने का कारण:

• पित्त की कमी/न्यूनता के कारण खाये हुए आहार का ठीक से पाचन न होना। 

• अत्यधिक भोजन / खान-पान में असंयम/प्रकृति के विरूद्ध भोजन करना।

• रात में जागना/रात्रि जागरण।

• आँतों की कमजोरी/शिथिलता।

कब्ज/मल बद्धता।

• जीर्ण/पुराना आमाशय शोथ।

• अमीबा रुग्णता।

• यकृत व फेफड़ों में रक्त प्रवाह की कमी। 

• आमाशय का अकस्मात् फैल जाना।

• आन्त्रिक ज्वर, न्यूमोनियाँ, मस्तिष्क वरणशोथ आदि रोगों में तीव्र विषमयता के परिणाम स्वरूप।

• आमाशय आन्त्र और जिगर (यकृत) के स्रावों के कमी। 

• कार्बोहाइड्रेट्स तथा प्रोटीन के किण्वीकरण (फर्मेन्टेशन Fermentation) से गैस की उत्पत्ति।

• आमाशय के दीवार की कमजोरी।

• रुक्ष अंश वाले खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में सेवन।

• मानसिक अस्थिरता।

• तेज चटपटे मिर्च-मसाले युक्त भोजन तथा खट्टे-मीठे, तले-भुने पदार्थों का अधिक सेवन।

• अनियमित आहार-विहार तथा गरिष्ठ भोजन।

• चाय, कॉफी आदि मादक पेयों का अधिक सेवन। 

• आमाशय तथा आँतों की कार्य प्रणाली में दोष।

• यकृत (Liver) सम्बन्धी रोग व विकार।

• अजीर्ण, मन्दाग्नि, अतिसार, पेचिश का रोग रहना।

• भोजन पर भोजन यानि एक बार खाना खाने के तुरन्त बाद दोबारा खाना खाते रहना।

• गठिया रोग एवं छोटे जोड़ों का रोग तथा उनसे उत्पन्न विकार।

• भोजन को बिना ठीक प्रकार से चबाये ही निकल जाना। 

• भूख से ठूँस-ठूँस कर भोजन करना।

• गरिष्ठ (देर से पचने वाले) भोजनों को खूब अधिकता से ठूंस-ठूंस कर खाना।

• भोजन करते समय ज्यादा हवा/वायु निगलना।

• खाने के समय अधिक पानी अथवा अन्य पेय लेते रहना।

• बड़ी आंत में सूजन होने पर।

• दालों का अधिक सेवन (चूंकि दालों में प्रोटीन अधिक होता है अतः इनको अधिक लेने से गैस उत्पन्न होती है।)

• वायु / वातप्रधान-भोजन अधिक लेने से।

• रूखा आहार सेवन करने से।

• छौंक/बहार रहित आहार सेवन करने से।

• मोटापा/स्थूलता भी इसका एक कारण है।

• प्रर्याप्त निद्रा का अभाव।

• दोपहर व शाम (रात) के भोजनोपरान्त तुरन्त लेट जाना या सो जाना अर्थात घूमना-टहलना तथा विश्राम के अभाव से।

पेट फूलने के प्रमुख लक्षण नीचे लिखे हैं:

• पेट फूलकर ढोल के सदृश कड़ा/कठोर हो जाना।

• घबराहट तथा बेचैनी, गैस के ऊपर आ जाने से घबराहट।

• छाती में जलन, पेट और पार्श्व में दर्द।

• उदर में गुड़गुड़ाहट व पीड़ा।

• कब्ज या कष्ट।

• पेट की नसों में तनाव

• छाती में वायु का दबाब पड़ने से हृदय की गति/धड़कन अपेक्षाकृत तीव्र।

• डकारें आना।

• गुदामार्ग से संचित वायु (अपान वायु) का समय-समय पर निकलना तथा मल त्याग के समय वायु (हवा/गैस) का आवाज के साथ निकलना।

• सिर में दर्द।

• नाड़ी दुर्बलता।

• चक्कर आना।

• श्वास कष्ट व हृदय में पीड़ा।

• जी मिचलाना, किसी काम में मन न लगना।

• पेट पर हाथ फिराते हुए बिस्तर पर लेटे रहना।

• थोड़ा सा भोजन खाते ही पेट में भारीपन का अनुभव।

• हिंचकी आना।

• वमन, प्यास, तथा कण्ठ व मुंह के अनेक रोग।

• अनिद्रा (नींद का न आना)

• महिलाओं में बांझपन (स्टेरिलिटी) की शिकायत।

• कभी-कभी एकाएक सर्दी हो जाना तथा अत्यधिक छींकें आने लगना।

• मुख से लार टपकना, मुख में बार-बार थूक आना, मुख में पानी आना, मुख का स्वाद-बेजायका बना रहना, मुख में छाले पड़ना । रोगी को मुखद्वारा डकारें आने से तथा गुदामार्ग द्वारा वायु (अपानवायु) के निकल जाने से रोगी को कुछ राहत/शान्ति मिल जाती है।

इस रोग को संक्षेप में इस प्रकार भी कह सकते हैं कि-रोगी का पेट फूल जाता है, पेट में दर्द उठता है तथा बेचैनी बढ़ जाती है, श्वास लेने में कठिनाई होती है, जी मिचलाता है, खट्टी-खट्टी डकारें आती है। रोगी का पेट अधिक फूल जाने के कारण बैठने में भी कष्ट होता है, बात-चीत करने में भी कष्ट तथा हृदय की धड़कन बढ़ जाती है।

यह साधारण सा दिखने वाला अत्यन्त ही कठिनाई से नियन्त्रण/कण्ट्रोल में आने वाला रोग हैं रोगी के पेट की गैस जब ऊपर उठकर हृदय पर दबाब डालती है तब हृदय की धड़कन और बेचैनी बढ़ जाती है तथा रोगी को अपना दम/सांस घुटता सा प्रतीत होता है। 

वर्तमान में हृदय विशेषज्ञों के यहाँ लगभग 70% रोगी-गैस /अफारा के ही होते हैं, जिनसे हृदय रोग का भय दिखाकर बताकर बहुत से लालची चिकित्सक धन लूटते रहते हैं। गैस/वायु ऊपर उठकर जब मस्तिष्क को प्रभावित करती है, तब सिर दर्द, नाड़ी दुर्बलता तथा सिर चकराने के लक्षण भी रोगी में मिलते हैं।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेचुरल वे क्योर इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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